10 Cbse Hindi A - George Pancham Ki Naak - Chapter 2, Kritika Bhag 2 - जॉर्ज पंचम की नाक - Ncert Solutions Part II

 

Class 10, CBSE Hindi 'A' - Kritika Bhag 2

Chapter 2, George Pancham Ki Nak (जॉर्ज पंचम की नाक)

Answers of NCERT Class 10 Hindi Kritika Bhag 2 - Chapter 2, Exercise Q. Nos 1 - 4  [Read]

प्रश्न 5: जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या प्रयत्न किए  ?
Answer: जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने निम्नलिखित प्रयत्न किए: 
  • सर्वप्रथम उसने जॉर्ज पंचम की नाक के निर्माण में प्रयुक्त पत्थर को खोजने का प्रयास  किया। इसके लिए उसने देश भर में जा-जाकर खोज की, पर असफल रहा। वह पत्थर विदेशी था। 
  • उसने देश भर में घूम-घूमकर शहीद नेताओं की मूर्तियों की नाक का नाप लिया, ताकि उन मूर्तियों में से किसी की नाक को जॉर्ज पंचम की लाट पर लगाया जा सके, किंतु सभी नाकें आकार में बड़ी निकलीं। 
  • इसके पश्चात् उसने 1942 में बिहार सेक्रेटरिएट के सामने शहीद बच्चों की मूर्ती की नाक का नाप लिया, किंतु वे भी बड़ी निकलीं। 
  • अंत में उसने जिंदा नाक लगाने का निर्णय किया और जॉर्ज पंचम के जिंदा नाक लगा दी गयी। 
प्रश्न 7: नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। वह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है ? लिखिए। 
Answer: नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। इसी नाक को विषय बनाकर लेखक ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात हमारी सरकारी व्यवस्था व प्रशाशन की औपनिवेशिक व गुलाम मानसिकता पर व्यंग्य किया है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात अंग्रेजन की करारी हार उनकी नाक काटने का ही प्रतीक है, लेकिन स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भी भारत में जगह-जगह अंग्रेज़ी शासकों की मूर्तियाँ विद्यमान हैं, जो हमारी गुलामी मानसिकता को दर्शाती हैं। आज भी जॉर्ज पंचम जैसे अंग्रेजों की मूर्ति की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए - का प्रश्न सरकारी महकमों की नींद उड़ा सकता है। 
इसी प्रकार देश के शहीदों के सम्मान के लिए भी "नाक" शब्द का प्रयोग हुआ है। उनकी नाक को जॉर्ज पंचम की नाक  से बड़ा बताया गया है। परन्तु अंत में जॉर्ज पंचम की नाक स्थापित करने एक ज़िंदा नाक लगा दी जाती है अर्थात देश की सम्मान की बलि दे दी जाती है। कहने का अभिप्राय यह है कि किसी को दिखावा करना हिन्दुस्तानियों की आदत ही नहीं कमजोरी भी है। यह लोग अपनी मान-मर्यादा के लिए हर गिरी हरकत कर सकते हैं। पूरी व्यंग्य रचना में नाक का प्रश्न को उबारा गया है क्योंकि नाक मान-सम्मान का द्योतक है। 
प्रश्न 8: जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक की भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहते हैं ?
Answer: प्रत्येक व्यक्ति की अपनी इज्ज़त, मान-मर्यादा तथा प्रतिष्ठा है। 
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक की भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक देश के शहीद नेताओं और बच्चों के सम्मान को प्रकट करना चाहता है। सभी नेताओं और बच्चों की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी होने का अर्थ है कि देश के लिए शहीद होने वाले इन नेताओं और यहाँ तक कि बच्चों का सम्मान भी दूसरे देशों गुलाम बनाने वाले अत्याचारी राजा जॉर्ज पंचम से बड़ा है। 
प्रश्न 9: अखबारों ने ज़िंदा नाक लगाने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया ?
Answer: जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप थे, क्योंकि उन्हें भी पता था कि इस कार्य से पूरे देश के सम्मान को ठेस पहुँची है। जॉर्ज पंचम की लाट पर ज़िंदा नाक लगाना हमारे प्रशासन की मानसिक गुलामी का प्रतीक था। 
स्वतंत्रता-पश्चात देश भर में स्थापित अंग्रेज शासकों की मूर्तियों को हटाने के लिए इन अखबारों ने प्रबल अभियान चलाया था। अब पुनः उन मूर्तियों के सम्मान के लिए देश की नाक कटती देखकर अखबार स्वयं को ठगा-सा महसूस कर रहे थे। 
प्रश्न 10: "नई दिल्ली में सब था.... सिर्फ नाक नहीं थी।" इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?
Answer: "नई दिल्ली में सब था.... सिर्फ नाक नहीं थी", इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि रानी की स्वागत तथा उनकी प्रसन्नता हेतु दिल्ली में हर प्रकार की तैयारियाँ की गयी थीं। साफ़-सफाई, सजावट, सुख-सुविधा से लेकर सुरक्षा  की सभी व्यवस्था की गयी थीं, किन्तु इन सबकी बावजूद भी जॉर्ज पंचम की लाट की नाक, जो संभवतः अंग्रेजों के मान-सम्मान का प्रतीक है, नहीं थी। 
इसका एक अर्थ यह होता है कि भारत में अपना शासन खो चुके अंग्रेजों के प्रति लोगों के मन में अब कोई मान-सम्मान नहीं बचा था, और साथ ही इस से हमारे प्रशासन की कमज़ोर एवं त्रुटिपूर्ण व्यवस्था का भी पता चलता है।  
प्रश्न 11: जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे ?
Answer: इस के कई कारण हैं -
  1. अखबार में कहीं कोई सम्मेलन का जिक्र नहीं था, क्योंकि अपनी व्यवस्था के दोष के कारण प्रशासन कुछ बताना ही नहीं चाहती थी। 
  2. क्योंकि ज़िंदा नाक लगाने की बात थी, और यह खबर यदि आम जनता तक चली जाती तो हंगामा हो जाता। इई भय के कारण अखबार चुप थे। 
  3. स्वतंत्रता-पश्चात देश भर में स्थापित अंग्रेज शासकों की मूर्तियों को हटाने के लिए इन अखबारों ने प्रबल अभियान चलाया था। अब पुनः उन मूर्तियों के सम्मान के लिए देश की नाक कटती देखकर अखबार स्वयं को ठगा-सा महसूस कर रहे थे।
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