8th Hindi Vasant Bhag III CBSE Guide for Chapter 5, Chitthiyon Ki Anuthi Duniya | NCERT Answers

 

Chitthiyon Ki Anuthi Duniya by Arvind Kumar Singh

चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

Chapter 5, Vasant Bhag III

Class 8 Hindi - CBSE Guide - NCERT Answers

8th Hindi Vasant Bhag III CBSE Guide for Chapter 5, Chitthiyon Ki Anuthi Duniya image
Courtesy: Google Images
 To View NCERT Answers of  पाठ से  & पाठ से आगे  Questions click on the link below 



भाषा की बात -
प्रश्न: किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैस-प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए।
Answer: व्यापारिक पत्र, घरेलु पत्र, शोक पत्र, सरकारी पत्र, साहित्यिक पत्र, प्रार्थना पत्र, शिकायती पत्र, प्रेम पत्र, चेतावनी पत्र, त्याग पत्र, नियुक्ति पत्र।  

प्रश्न: 'व्यापारिक' शब्द व्यापार के साथ 'इक' प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए।  
Answer: पारिवारिक, सामाजिक, नैतिक, धार्मिक, राजनैतिक। 

प्रश्न: दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे- रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।


ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे- संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा। 

इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए। 

Answer: 
दीर्घ संधि (उदाहरण) : हृस्व या दीर्घ 'अ', 'इ', 'उ', से परे क्रमशः हृस्व या दीर्घ 'अ', 'इ', 'उ' आ जाएँ तो दोनों मिलकर क्रमशः 'आ', 'ई', 'ऊ' हो जाते हैं - 
  • अ + अ  = आ  (परम + अणु = परमाणु, मत + अनुसार = मतानुसार)
  • अ + आ = आ  (हिम + आलय = हिमालय, परम + आत्मा = परमात्मा) 
  • आ + अ = आ  (विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी)
  • आ + आ = आ  (विद्या + आलय = विद्यालय, कारा + आवास = कारावास) 
  • इ + इ = ई  (रवि + इंद्र = रवीन्द्र, अति + इव = अतीव)
  • ई + ई = ई  (रजनी + ईश = रजनीश) 
  • ई + इ = ई  (मही + इन्द्र = महीन्द्र)
  • उ + उ = ऊ  (गुरु + उपदेश = गुरुपदेश, लघु + उत्तर = लघूत्तर) 
गुण संधि (उदाहरण) : 'अ', 'आ' से परे यदि हृस्व या दीर्घ 'इ', 'उ', 'ऋ' आ जाए तो वे क्रमशः 'ए', 'ओ', और 'अर्' हो जाते हैं -   
  • अ + ई = ए  (भारत + इंदु = भारतेंदु)
  • अ + ई = ए  (गण + ईश = गणेश, परम + ईश्वर = परेमश्वर)
  • आ + ई = ऐ  (रमा + ईश = रमेश)
  • आ + उ = ओ  (सूर्य + उदय = सूर्योदय, पर + उपकार = परोपकार)
  • आ + ऊ = ओ  (नव + ऊढ़ा = नवोधा)
  • आ + उ = ओ  (महा + उत्सव = महोत्सव)
  • आ + ऊ = ओ  (महा + ऊर्मी = महोर्मि)
  • अ + ऋ = अर्  (देव + ऋषि = देवर्षि)
  • आ + ऋ = अर्  (महा + ऋषि = महर्षि)
वृद्धि संधि (उदाहरण) :  'अ', 'आ' से परे यदि 'ए' या 'ऐ' आ जाए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ए' तथा 'औ', या 'औ' हों तो उन्हें मिलाकर 'औ' हो जाता है -   
  • अ + ए = ऐ  (एक + एक = एकैक)
  • आ + ए = ऐ  (सदा + एव = सदैव)
  • अ + ऐ = ऐ  (मत + ऐक्य = मतैक्य)
  • आ + ऐ = ऐ  (महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य) 
  • अ + ओ = औ  (जल + ओध = जलौध) 
  • आ + ओ = औ  (महा + औध = महौध)
  • अ + औ = औ  (वन + औषध = वनौषध)
यण संधि (उदाहरण) : हृस्व या दीर्घ 'इ', 'उ', 'ऋ', से परे भिन्न जाति का कोई स्वर आ जाये तो इ-ई को 'य', उ-ऊ को 'व्' और 'ऋ' को 'र्' हो जाता है -
  • इ + अ = य  (अति + अधिक = अत्यधिक)
  • इ + आ = या  (इति + आदि = इत्यादि)
  • इ + उ = यु  (प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर)
  • उ + अ = व  (मनु + अंतर = मन्वन्तर)
  • उ + आ = वा  (सु + आगत = स्वागत)
  • उ + ए = वे  (अनु + एषण = अन्वेषण)
  • ऋ + अ = र  (पितृ + अनुमति = पित्रनुमति)
  • ऋ + आ = रा  (पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा)

2 comments:
Write comments
  1. प्रिय महोदय, आभार आपने इस विषय को उठाया है। मैं ही इस पाठ का लेखक हूं। यह मेरी पुस्तक भारतीय डाक से लिया गया है, जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट ने छापा है। आपसे अनुरोध है कि इस यूट्यूब लिंक में लेखक परिचय भी शामिल कीजिए। मेरा पता है अरविंद कुमार सिंह, संपादक, संसदीय मामले, राज्य सभा टीवी, भारतीय संसद, नयी दिल्ली। मोबाइल 9810082873, ईमेल arvindksingh.rstv@gmail.com

    ReplyDelete
    Replies
    1. Pleasure to welcome and mention as desired by you, sir.
      Thanks

      Delete