Essay in Hindi on Mobile Phone and its Importance | Hindi Nibandh Rachna - मोबाइल बिना सब सुना

 

मोबाइल बिना सब सुना 
Hindi Essay Nibandh Rachana on Mobile Phone and its Importance

मोबाइल फ़ोन मनुष्य के हाथों में चौबीसों घंटो खेलनेवाला एक अत्यंत उपयोगी एवं आकर्षक साधन है। एक नन्ही-सी मशीन जो मनुष्य की जेब से बैठा-बैठा बताता रहता है कि आपका अपना आपसे बात करना चाहता है। अब हमारी इच्छा है कि हम बात करें या न करें, या प्रतीक्षा के लिए कहें।

प्रथम मोबाइल फोन यंत्र का अविष्कार अमरीका के जॉर्ज स्वीगर्ड ने सन १९६९ में किया था। परंतु आधुनिक मोबाइल का अविष्कार एवं सर्वप्रथम उपयोग के लिए अमरीका के डॉक्टर मार्टिन कूपर जाने जाते हैं। उन्होंने सन १९७३ में 'मोटोरोला' नामक संस्था से सर्वप्रथम आधुनिक मोबाइल का निर्माण किया था। भारत में सर्वप्रथम मोबाइल सेवा का प्रारंभ अव्यावसायिक तौर पर सन १९८५ में किया गया था। बाद में अगस्त सन १९९५ से यह सेवा व्यावसायिक तौर पर देश की आम जनता के लिए उपलब्ध कराया गया।

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मोबाइल फोन संचार का माध्यम तो है ही, साथ ही वह घड़ी, टॉर्च, संगणक (Calculator), कैमरा, संस्मारक (Reminder / Memorise), रेडियो, टी.वी., खेल, मनोरंजन आदि की भी भूमिका निभाता है। वास्तव में यह तो जैसे 'अलादीन का चिराग' है। मोबाइल फोन में शक्तिशाली कैमरा लगे हैं जिनके माध्यम से हम संवाद-सहित पूरे दृश्य कैमरा में कैद कर सकते हैं। अँधेरे में वह टॉर्च का काम करता है तो सोते हुए अलार्म घड़ी का। वह हमें महत्वपूर्ण पल याद करानेवाला स्मारक मित्र भी है और कलेंडर भी। गणना से लेकर टाइम-कीपिंग तक का काम मोबाइल फोन द्वारा लिया जा सकता है। आजकल मोबाइल फोन पर इंटरनेट सुविधा प्राप्त हो जाने के कारण कंप्यूटर न रहने पर भी, हम मोबाइल फोन से इंटरनेट सर्फ करके विश्व की तमाम जानकारियाँ कहीं से भी और कभी भी प्राप्त कर सकते हैं। नित्य नए कुछ न कुछ ऐप निकल रहे हैं जिनके सहायता से हम मोबाइल फ़ोन पर बैंकिंग सेवा प्राप्त करने के अलावा एवं अपने बैंक खातों से पैसों का लेन-देन भी कर सकते हैं।  

इतनी सारी सुविधाएँ प्रदान के बावजूद आज का मोबाइल फोन बहुत सस्ता हो गया है। यही कारण है कि भारत जैसा देश में भी अमीर आदमी से लेकर एक गरीब मजदूर तक के पास आज मोबाइल फोन उपलब्ध है। मात्र कुछ रुपयों के बदले में इसके माध्यम से हम देश-विदेश में बातें कर सकते हैं। संदेश भेजना तो लगभग मुफ्त है। कोई व्यक्ति एक साथ सैकड़ों लोगों को कुछ ही मिनटों में संदेश भेज सकता है, वह भी बहुत ही कम मूल्य पर। वह संदेश माध्यम (एस. एम. एस) डाकघर के पोस्टकार्ड से भी सस्ता और विश्वसनीय बन गया है। यहाँ तक कि 'मिस्ड कॉल' के माध्यम से बिना पैसा खर्च किये भी अनेक संदेश लिए-दिए जा सकते हैं।

जैसा कि हर अच्छाई के साथ कुछ बुराइयाँ भी जुड़े होते हैं, वैसे ही मोबाइल फोन के भी कई अभिशाप हैं। यह मनुष्य को चौबीसों घंटे व्यस्त रखता है। दिन भर विज्ञापन-कंपनियों के विज्ञापन हमें परेशान करते रहते हैं। अनावश्यक संदेशों का आना और उसे मिटाना भी अलग से एक काम है जिसके कारण जीवन का कुछ समय व्यर्थ ही बर्बाद हो जाता है। असामाजिक तत्वों भी अपने बुरे काम को अंजाम देने के लिए मोबाइल फ़ोन का प्रयोग कर रहे हैं। विभिन्न कारणों से मोबाइल फोन की विपत्तियों का दर्द युवतियाँ और लड़कियाँ अधिक झेलती हैं। मोबाइल फोन का अधिक उपयोग करने से उसका बुरा असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है।

पर इन सब बुराईओं के बावजूद भी मोबाइल फोन हमारे लिए वरदान है। यदि मनुष्य इसके उपयोग को अपने अनुसार नियंत्रित कर ले तो इसके कारण होनेवाली मुसीबतों से बहुत हद तक बचा जा सकता है। जब एक छोटी-सी वस्तु में एक साथ इतनी सारी सुविधाएँ उपलब्ध हो और वह भी इतने कम पैसों में, तो भला, हम इसे अपने से अलग कैसे रख सकते हैं। वास्तव में जब मोबाइल फोन अपने साथ हो तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे - सारी दुनिया अपनी जेब में है। अर्थात् दूसरे शब्दों में कहा जाए तो - 'मोबाइल बिना सब सुना'।

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